Sunday, February 5, 2012

झप्पी, झपकी और ऊँघ

angels-embrace

पि छले कुछ बरसों में हिन्दी में झप्पी शब्द चल पड़ा है । मुन्नाभाई फिल्म के माध्यम से इसका प्रसार हुआ हुआ है । झप्पी यानी स्नेहालिंगन । प्यार-दुलार के साथ बाँहों में भर लेना । गले लगाना, आगोश में लेना, सीने से लगाना, चिपटाना जैसे भाव इसमें निहित हैं । मूलतः झप्पी पंजाबी से हिन्दी में आया शब्द है जिसका उर्दू-पंजाबी रूप है जफ्फी । वैसे भी हिन्दी में पंजाबी मूल के जिन शब्दों की रच-बस हुई है उसकी वजह पंजाबी का अनुदित साहित्य नहीं है बल्कि बॉलीवुड की फिल्में रही हैं । फ़िल्मी दुनिया में में पंजाब का वर्चस्व सब पर उजागर है । गीत, संगीत, कहानी, निर्देशन, संवाद और अभिनय आदि तमाम क्षेत्रों को पंजाब की प्रतिभाओं ने खूब समृद्ध किया है । पंजाबी निर्देशकों का अपनी संस्कृति से प्रेम हिन्दी फिल्मों में झलकता रहा है और उसी वजह से फिल्मी गीतों और संवादों पर पंजाबी असर के चलते हिन्दी में भी पंजाबी शब्द चले आए । मुन्नाभाई फिल्म के निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा भी पंजाबी हैं तो जादू की झप्पी को भी हिन्दी वालों में शोहरत मिलनी ही थी। हालाँकि इस झप्पी के पीछे मुन्नाभाई तो साफ़ दिखता है मगर पंजाब को लोग नहीं देख पाते ।
प्पी के मूल में दरअसल झप क्रिया है जिसमें तेज़ी, शीघ्रता, जल्दी का भाव है । झप के मूल में है संस्कृत का झम्प शब्द जिसका अर्थ है कूदना, उछलना । इसमें फुर्ती, त्वरता का भाव भी है । गौरतलब है कि उछलना या कूदना जैसी क्रियाएँ शीघ्रता से ही सम्पन्न होती हैं । देवनागर वर्णमाला के व्यंजन से ध्वनिअनुकरण के आधार पर अनेक शब्दों का निर्माण हुआ है । में संघर्षी ध्वनि के साथ गति का बोध होता है । हवा और पानी का तेज गति से मिला-जुला निनाद झर-झर ध्वनि है । पहाड़ से गिरते पानी के सोते को झरना कहते हैं । ऊपर से नीचे गिरती धारा में नैसर्गिक त्वरा, आवेग होता है । झटपट, झपाटा शब्दों को हम रोज़ सुनते हैं जिनमें गति और शीघ्रता है । झपट्टा, झपटना जैसे शब्दों में आक्रमण, चढ़ाई, धावा बोलने का आशय तो स्पष्ट है ही, सामान्य बोलचाल में किसी वस्तु को शीघ्रता से हस्तगत करने या तेज़ी से किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान को ताबे में लेने के लिए भी इन शब्दों का प्रयोग होता है । झाप, झापना या झापट /झापड़ शब्द भी आम हैं । झाप में शीघ्रता से काबू करने का आशय है । डाँटने, बोलती बन्द करने, चुप कराने के अर्थ में भी इसका प्रयोग होता है । लेकिन मूल भाव स्पष्ट है-तत्काल प्रतिक्रिया । झप्पी में भी झपाटे की क्रिया है । भावावेश में किसी को गले लगा लेना । खींच कर गले लगाना ही मूलतः झप्पी है, मगर अब जो ये जादू की झप्पी है, इसमें बड़ी शाइस्तगी, नफ़ासत और संयम भी है । और तो और, इसे पाने के लिए तो कतार में भी खड़े होना पड़ता है ।
Drowsiness
तेज़ रफ़्तारी या तत्क्षता प्रकट करने के लिए पलक झपकना मुहावरे का प्रयोग होता है अर्थात पलक झपकने की क्रिया जितना वक्त और गति । हद से ज्यादा थकान की अवस्था में या फिर जब मस्तिष्क किसी सोच-विचार की स्थिति में नहीं रहता, अचानक थोड़े समय के लिए नींद के आगोश में चले जाने की स्थिति झपकी कहलाती है । यह झपकी भी इसी मूल से आ रही है । अचानक नींद में गाफ़िल होना और अचानक जागृत अवस्था में आना, यही झपकी है । झपकी वाले आशय से मिलता जुलता एक और शब्द हिन्दी में प्रचलित है-ऊँघना । हालाँकि ऊँघना और झपकी एक दूसरे के पर्याय नहीं है मगर शब्दकोशों में झपकी का अर्थ ऊँघना भी मिलता है । ऊँघना शब्द को लेकर कोशकार एकमत नहीं हैं । जॉन प्लैट्स ऊँघना की व्युत्पत्ति अधो+गमन मानते हैं । ऊँघना क्रिया पर गौर करें । थकान के मारे जब बैठी हुई अवस्था में ही पलकें बोझिल हो जाती हैं तब सिर धीरे धीरे सीने पर आकर टिक जाती है । प्लैट्स इस क्रिया को अधो+गमन कहते हैं । अधोगमन से औंघ और फिर ऊँघ यह क्रम उनके कोश में मिलता है । अधोगमन में सिर के नीचे आने का भाव बहुत ज्यादा स्पष्ट नही है बल्कि यह सामान्य अर्थों में नीचे की ओर गति है । इसकी तुलना में हिन्दी शब्दसागर में ऊँघ की व्युत्पत्ति संस्कृत के अवाङ् से बताते हैं । अमरकोश में यह शब्द मिलता है जिसका अर्थ है- अधोमुख । यह अर्थ ऊँघ के आशय को स्पष्ट करता है । इसका प्राकृत रूप अघई है । मुझे लगता है कि अ-ई मिलकर बनते हैं और ङ् की नासिक्य ध्वनि को मिलती है । इस तरह हमारे हाथ ऊँघ लगता है । यह व्युत्पत्ति कही अधिक तार्किक लगती है ।

ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें

5 कमेंट्स:

प्रवीण पाण्डेय said...

ऊं में कुछ अनमनापन झलकता है, ऊँघने जैसा..

अजेय said...

लाहुल और पाँगी घाटी की कुछ आदिम भषाओं मे एक शब्द है *उंघ* ....अर्थात *बहाने* .
मसलन -- "लचाँङु उंघे अता" (चाँद के बहाने आजा). (पट्नी भाषा , लाहुल)
मैं नही जानता इस शब्द का हिन्दी ऊँघने के साथ सम्बन्ध है, लेकिन ध्वनि साम्य नोट किए जाने लायक है

vidha-vividha said...

झप्पी पीड़ा हरती है भले वो अपनों की हो या प्रकृति की

विष्णु बैरागी said...

शब्‍दकोश में भले ही ऊँघना और झपकी लेना समानार्थी हों किन्‍तु क्रिया के आधार पर तो अलग-अलग ही हैं।

Mansoor ali Hashmi said...

कमेन्ट स्पाम में गया ?

नीचे दिया गया बक्सा प्रयोग करें हिन्दी में टाइप करने के लिए

Post a Comment


Blog Widget by LinkWithin